संतों का काम ही लोक कल्याण एवं जन उद्धार है : जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज

Jagadguru Shri Vasant Vijayanand Giri Ji Maharaj

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श्रीराजराजेश्वरी मंदिर में राजगोपुरम के शिलालेख का वास्तुनुरुप हुआ पूजन

आदि शंकराचार्य पाट परंपरानुसार जगद्गुरु का हुआ सहस्त्राभिषेक 

रायपुर। Jagadguru Shri Vasant Vijayanand Giri Ji Maharaj: यहां छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिले में खम्हार डीह साकेत परसिया रोड, मनियारी नदी के निकट श्री चक्र महामेरु पीठम के पीठाधिपति स्वामी श्री सच्चिदानंद तीर्थ महाराज के हार्दिक निमंत्रण पर पहुंचे परमहंस परिव्राजकाचार्य अनन्त श्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु 1008 परम पूज्यपाद श्री वसन्त विजयानन्द गिरी जी महाराज ने शुक्रवार को श्रीराजराजेश्वरी मंदिर के राजगोपुरम अर्थात् शिखर का वास्तुनुरुप विधिवत शिला पूजन किया। पूजन के साथ यहां उपस्थित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मकान, दुकान इत्यादि के वास्तुदोष निवारणार्थ भी मंत्र शक्तिपात किया। उल्लेखनीय है त्रेता युग में भगवान श्री राम, माता सीता एवं लक्ष्मणजी ने बनवास के दौरान इस क्षेत्र में विचरण किया था। पूज्यपाद जगद्गुरु ने प्रभु के चरणों से पवित्र इस पवित्र धरा को वंदनीय प्रणाम करते हुए लोक कल्याणार्थ समस्त भक्तों को मांगलिक भी प्रदान की। इस मौके पर विगत दिनों प्रयागराज महाकुंभ में सनातन परंपरा में साधु संप्रदाय में सर्वोच्च पद जगद्गुरु के पद से नवाजे जाने पर आदि शंकराचार्य की पाट परंपरानुसार भी श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज का स्वामीश्री सच्चिदानंद तीर्थजी ने पूजित मंत्रित कलशों से सहस्त्राभिषेक किया। इस दौरान वेदपाठी ब्राह्मण पंडितों द्वारा मंत्रोचार किया गया।

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दौराने कार्यक्रम अपने आशीर्वचनीय संदेश में पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरिजी महाराज ने कहा कि भक्त बनना पुण्य है, संतों की निश्रा मिलना महापुण्य है। उन्होंने कहा कि कोई भी भक्त स्वार्थवश भी गुरु, संत अथवा भगवान के मंदिर में जाएं तो सौभाग्य से स्वभाव के अनुरूप भक्तों को पुण्य ही प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि संत हमेशा ज्ञान ही देंगे। व्यक्ति के जीवन की शैली में विनय, विवेक तथा सार्थक बनाने वाले प्रेरणादाई प्रवचन में साधना के शिखर पुरुष, सर्व धर्म दिवाकर ने जीवन के अनेक नियम भी समझाए। उन्होंने कहा कि आज के व्यक्ति में सहिष्णुता नहीं रही है। वे बोले कि पूरा संसार एक तरंग से चल रहा है। व्यक्ति की दरिद्रता, रोग, दुख का कारण अज्ञानता है। इसमें झूठ बोलना, गलत आदतें, रखना अशुद्ध रहना, गाली देना, बिना मतलब परस्पर झगड़ा करना जैसे कृत्य भी शामिल है। पूज्यपाद जगद्गुरु ने प्रसंगवश केसर व इलायची का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि प्रकृति की यह दो चीज अनमोल है जो सुगंधित है और समृद्धि को आकर्षित करती है। पारिवारिक रिश्तों में परस्पर प्रेम एवं समन्वय बनाए रखने की सीख देते हुए पूज्यपाद जगद्गुरु ने कहा कि जीवन में सहिष्णुता से समृद्धि निश्चित ही संभव है। इस अवसर पर श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम कृष्णगिरी तमिलनाडु की ओर से नवनिर्मित श्री राजराजेश्वरी मंदिर निर्माण हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया। पीठम के श्री कार्यम डॉ कौशल किशोर दुबे, भूपेश यादव सहित अनेक विप्र जनों ने आयोजन की विभिन्न व्यवस्थाओं में किया। कृष्णगिरी तीर्थ के डॉ संकेश छाजेड़ ने बताया कि इससे पूर्व पूज्यपाद जगद्गुरु के रायपुर आगमन पर हवाई अड्डे बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने गगनचुम्बी जयकारों के साथ पूज्यपाद जगद्गुरु का श्रीफल , मालाओं एवं शॉल अर्पण कर स्वागत सत्कार किया।